Aug 18, 2014

एक कथा





एक मंदिर के पुजारी थे. भगवान के बड़े भक्त. सुबह 4 बजे से उठकर पूजा पाठ से ही उनका दिन शुरू होता था.. हर बड़े दिन पर वो मंदिर के लिए दान लेते और बड़े ही जतन से आयोजन करते. मंदिर सजाते, महाआरती करवाते, बड़े बड़े लाऊडस्पीकर लगवा कर अखंडरामायण का पाठ कराते, नवरात्रों में माता की चौकी सजाते और जगराता करवाते. पूरे नौ दिन माता की भेंटे चलती थीं. उनके लिए सिर्फ भगवान का नाम जपना और जपवाना ही सब कुछ था. एक दिन समय आने पर उनकी मृत्यु हो गयी. सबने शोक मनाया कि पुजारी जी स्वर्गवासी हो गए. स्वर्ग के द्वार पर जब वो पहुंचे तो चौकीदार ने उनसे टिकट माँगा. उन्होंने अकड़ कर कहा कैसा टिकट? चौकीदार ने कहा कि अन्दर जाने के लिए एक खास टिकट लगता है जो कि आपके पास है नहीं.. ऐसा लगता है आपको नरक में ही जगह दी गयी होगी. इतना सुनना था कि पुजारी जी भड़क गए. उनकी जिंदगी भर की तपस्या का ऐसा मजाक!! चौकीदार ने उन्हें शांत करते हुए कहा चलिए आपकी मैनेजर से बात करा देते हैं. पुजारी जी पीछे पीछे चले. एक मेज पर फाइलों का अम्बार लगा हुआ था और चश्मा लगाये एक व्यक्ति उन फाइलों को इस तरह से पढ़ रहा था जैसे बस उन्हें घोंट कर पी जायेगा.
पंडित जी ने उन्हें नमस्कार किया. चित्रगुप्त ने उन्हें ऊपर से नीचे देखा और चौकीदार से बोला.. इस साल के बण्डल में से २,३५,५६७ वीं फाइल निकालो, बैठिये बैठिये. पिछले साल आई बाढ़ ने साला काम बढ़ा दिया. वैसे ही रोज़ एक्सीडेंट , ख़ुदकुशी, बीमारियाँ, रोज़ रोज़ होने वाले मर्डर से कम लोग मर रहे थे जो ये मुई बाढ़ और आ गयी. अब तो हर हफ्ते होने वाले प्लेन क्रैश और ट्रेन एक्सीडेंट ने और जान खा रखी है. हर दूसरे दिन फाइलों का नया बण्डल खरीदना पड़ता है. मंहगाई किसी के लिए क्या हमे तो लगता है हमारे लिए आई है.. सरकार कुछ करती नहीं है और काम हमारा बढ़ जाता है. हाँ पुजारी जी.. आप अपनी समस्या बोलिए.
पुजारी जी : जी देखिये चित्रगुप्त जी .. बात ऐसी है कि मैंने अपने जीवन को सिर्फ पूजा पाठ , साधना आदि में लगाया.. कोई बुरी बात नहीं की, कभी किसी महिला को बुरी नज़र से नहीं देखा फिर मुझे नरक क्यों. जिन लोगों ने कभी भगवान की तरफ श्रद्धा की नज़र से भी नहीं देखा क्या, इतने कुकर्म किये , क्या अब मुझे उनके साथ रहना होगा ? कृपा करिए महाराज.. ऐसा अनर्थ आप कैसे कर सकते हैं ?
चित्रगुप्त : जी पुजारी जी , अब आप देखिये, हम तो ठहरे मैनेजर. जो हमारे बॉस यानि आपके भगवान जी ने कहा, हमने किया. अब आपने इतनी पूजा पाठ की है तो चलिए आपको बॉस से मिलवा देते हैं. वही आपको इसका उत्तर बताएँगे.
दोनों ने भगवान के धाम जाने के लिए प्रस्थान किया. पंडित जी रास्ते भर सोचते रहे कि जिन नारायण के गुण गा गाकर जिंदगी बितायी आज उनसे साक्षात्कार होगा. बस उनके चरणों की धूलि मिल जाये. भगवान का नाम जपते हुए जैसे ही वहां पहुंचे, पंडित जी चौंक गए.
पंडित जी : भगवन , आप वैसे तो बिलकुल भी नहीं हैं जैसी मंदिर में फोटो लगी है. आपके  सोने के गहने कहाँ गए भगवन , क्या मंदी ने यहाँ भी अपने पैर जमा लिए? आप तो बेहद ही सौम्य दिखते हैं. (थोडा झेंपते हुए लेकिन मुस्कुराकर उन्होंने आगे जोड़ा) बुरा मत मानियेगा लेकिन अब क्या करें हमे तो आपको वैसे ही देखने की आदत हो गयी है.
भगवान : क्या मैं आपको इतना फ़ालतू दिख रहा हूँ कि आप अपनी ये बकवास किये जा रहे हैं. आप धरती वाले अगर मुझे एक 50 आँखों वाला भी दिखायेंगे तो क्या मैं वैसा हो जाऊंगा.
जो सुनने आये हैं वो सुनिए बस. आपने तीन क़त्ल किये हैं जिनकी वजह से आपकी स्वर्ग की सीट किसी और को दे दी गयी है और आपके इतने पूजा पाठ करने की ही वजह से  नरक में एक सीट बुक कर दी है. अब तो नरक में पांव रखना भी मुश्किल है. सोच रहे है कि दूसरा नरक भी खोल दें.. क्यों चित्रगुप्त जी क्या कहना है आपका.
चित्रगुप्त : जो आज्ञा भगवन .
पंडित जी मन ही मन सोचने लगे . लग रहा है यहाँ भी क्लोनिंग होने लगी है. कैसा भगवान है ये. बोले : भगवान मैंने आपके लिए इतने सद्भाव रखे , इतने व्रत रखे , आप जो चाहे कहिये लेकिन झूठ आपको शोभा नहीं देता. मैंने एक चींटी को भी जानबूझकर नहीं मारा, ३ खून कैसे कर सकता हूँ. आपको शायद कोई ग़लतफ़हमी हुई है.
भगवान जी ने चित्रगुप्त को इशारा किया और वे तीन लोगों को पकड़ लाये.
भगवान : हाँ तो पुजारी जी , इस बूढ़े आदमी को पहचानते हो.
पंडित जी : हाँ बिलकुल. ये तो हमारे ही गाँव का है . मंदिर से 4 घर छोड़ कर इसका घर है. अरे अपने राजेंद्र जी के पिताजी..
भगवान : बताओ तुम कैसे मरे?
बूढा आदमी : मैं बीमार था. मुझे डॉक्टर ने आराम करने के लिए कहा था. शोर शराबे से दूर रहने को कहा था . इन्होने बड़े बड़े स्पीकर पर आपके भजन चलवा दिए तो बैचैनी बढ़ने से दौरा पड़ा और मृत्यु हो गयी.
भगवान ने अब दूसरे लड़के को बुलाया. बताओ तुम कैसे मरे
लड़का : जी मैंने ख़ुदकुशी कर ली थी.
भगवान : क्यों?
लड़का : मैं 12th के एग्जाम मैं फेल हो गया था इसलिए
भगवान : क्यों फेल हुए? पढाई नहीं की थी?
लड़का : कैसे करता भगवान, मेरे एग्जाम के दिनों में इन्होने माता की चौकी लगा दी. दिन रात लाऊडस्पीकर बजता था. मैं पढ़ नहीं पाया और फेल हो गया.
पंडित जी को उस दिन का झगड़ा याद आ गया जब लोगों ने उनसे आवाज़ कम करने को कहा था और उन्होंने उन्हें धर्म विरोधी कहकर भगा दिया था.
भगवान ने अब एक छोटी लड़की को बुलाया और उससे मरने की वजह पूछी , उसने बोला कि मैं माँ के साथ मंदिर गयी थी. वहां से लौटते वक़्त २ लोगों ने मेरा अपहरण करने की कोशिश की. मेरी माँ और मैं मदद के लिए चिल्लाये लेकिन पंडित जी के लगाये लाऊडस्पीकर की आड़ में हमारी आवाज़ दब गयी. वो लोग मुझे ले गए और बाद में मुझे मार दिया.
पंडित जी को अब काटो तो खून नहीं.

भगवान : हाँ तो पंडित जी.. मैं आपसे ये कहना चाहता हूँ कि मैं बहरा नहीं हूँ. दिल के कोने से निकली एक आवाज़ पर ही मैं आ जाता हूँ और वैसे भी मेरा अंश सबमें है तो प्राणिमात्र को तकलीफ़ देने का अर्थ मुझे तकलीफ़ देना ही होता है. गीता में भी मैंने कहा है कि मैं संसार के हर कण में विराजमान हूँ. आपने नाहक स्वर्ग के लिए इतने जतन किये. इन लोगों की परेशानी को समझ लिया होता तो आज आपको यूँ नरक न जाना पड़ता. 


अब पंडित जी क्या कहते , बस सर नीचा करके चल दिए. उनके दिमाग में सिर्फ एक ख्याल था कि नरक में गर्म तेल में पकौड़े तले जाने वाली बात भी झूठ निकले.. 

1 comment:

  1. But its so sensible, how we go about doing anything just in the name of religion

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