Aug 24, 2014

Loved it

It was really surprising to listen from a police man that " you please don't worry. It is not just my legal duty but the moral one also. Remind me tomorrow in my office timings. I'll definitely try my best to resolve your issue."
I wish I could hear it from every police man. 

Aug 23, 2014

Expressions

Expressions Part one :-


Sometimes words don't matter.. Just expressions...

Story to be continued.. 

Aug 22, 2014

मंजिल



            परिंदों को मिलेगी मंजिल एक दिन, ये फैले हुए उनके पर बोलते हैं..

            वही लोग रहते हैं ख़ामोश अक्सर , ज़माने में जिनके हुनर बोलते हैं..

Aug 21, 2014

अभी नहीं तो कभी नहीं..

हम सोचते रह जाते हैं कि फलां काम हम कल करेंगे, ये वाला काम हम उस दिन करेंगे, दोस्त से मिलने हम उसके जन्मदिन पर जायेंगे, पढाई २ घंटे बाद करेंगे, करियर बना लेंगे बस थोडा मस्ती कर लें, पर दोस्तों वक़्त वाकई हाथ में नहीं आता. आप अपने अगले पल के बारे में भी नहीं जानते होते और प्लानिंग सालों की कर लेते हैं. जो वक़्त अभी है सिर्फ वही है, जो गया वो वापस नहीं आएगा, और जो आने वाला है उसका कुछ पता नहीं कैसा आएगा. यही सही वक़्त है वो करने का जो आप हमेशा से करना चाहते हैं. चाहे वो पढाई हो, जॉब बदलनी हो, प्यार करना हो, कुछ हासिल करना हो, घूमना हो, कुछ भी हो.. बस कर डालिए. रिस्क लेने से डर कैसा, एक विज्ञापन ही कहता है कि डर के आगे जीत है.
एक जिंदगी है, दोबारा मिलने के बारे में पता भी नहीं.. तो सिर्फ सोचने में टाइम ख़राब न कीजिये, इस वक़्त का सही इस्तेमाल कर लीजिये. थोडा जी लिया जाए अब, और हाँ.. अभी नहीं तो कभी नहीं.

Aug 20, 2014

It was lovely to be with you

Another refreshing day.. I love meeting new people.. And sometime some people become important part of my life... When you live alone in a city, a homely environment can give you a kick.. I got mine today.. It was an awesome day.. Loved each and every second of it... 

Aug 18, 2014

एक कथा





एक मंदिर के पुजारी थे. भगवान के बड़े भक्त. सुबह 4 बजे से उठकर पूजा पाठ से ही उनका दिन शुरू होता था.. हर बड़े दिन पर वो मंदिर के लिए दान लेते और बड़े ही जतन से आयोजन करते. मंदिर सजाते, महाआरती करवाते, बड़े बड़े लाऊडस्पीकर लगवा कर अखंडरामायण का पाठ कराते, नवरात्रों में माता की चौकी सजाते और जगराता करवाते. पूरे नौ दिन माता की भेंटे चलती थीं. उनके लिए सिर्फ भगवान का नाम जपना और जपवाना ही सब कुछ था. एक दिन समय आने पर उनकी मृत्यु हो गयी. सबने शोक मनाया कि पुजारी जी स्वर्गवासी हो गए. स्वर्ग के द्वार पर जब वो पहुंचे तो चौकीदार ने उनसे टिकट माँगा. उन्होंने अकड़ कर कहा कैसा टिकट? चौकीदार ने कहा कि अन्दर जाने के लिए एक खास टिकट लगता है जो कि आपके पास है नहीं.. ऐसा लगता है आपको नरक में ही जगह दी गयी होगी. इतना सुनना था कि पुजारी जी भड़क गए. उनकी जिंदगी भर की तपस्या का ऐसा मजाक!! चौकीदार ने उन्हें शांत करते हुए कहा चलिए आपकी मैनेजर से बात करा देते हैं. पुजारी जी पीछे पीछे चले. एक मेज पर फाइलों का अम्बार लगा हुआ था और चश्मा लगाये एक व्यक्ति उन फाइलों को इस तरह से पढ़ रहा था जैसे बस उन्हें घोंट कर पी जायेगा.
पंडित जी ने उन्हें नमस्कार किया. चित्रगुप्त ने उन्हें ऊपर से नीचे देखा और चौकीदार से बोला.. इस साल के बण्डल में से २,३५,५६७ वीं फाइल निकालो, बैठिये बैठिये. पिछले साल आई बाढ़ ने साला काम बढ़ा दिया. वैसे ही रोज़ एक्सीडेंट , ख़ुदकुशी, बीमारियाँ, रोज़ रोज़ होने वाले मर्डर से कम लोग मर रहे थे जो ये मुई बाढ़ और आ गयी. अब तो हर हफ्ते होने वाले प्लेन क्रैश और ट्रेन एक्सीडेंट ने और जान खा रखी है. हर दूसरे दिन फाइलों का नया बण्डल खरीदना पड़ता है. मंहगाई किसी के लिए क्या हमे तो लगता है हमारे लिए आई है.. सरकार कुछ करती नहीं है और काम हमारा बढ़ जाता है. हाँ पुजारी जी.. आप अपनी समस्या बोलिए.
पुजारी जी : जी देखिये चित्रगुप्त जी .. बात ऐसी है कि मैंने अपने जीवन को सिर्फ पूजा पाठ , साधना आदि में लगाया.. कोई बुरी बात नहीं की, कभी किसी महिला को बुरी नज़र से नहीं देखा फिर मुझे नरक क्यों. जिन लोगों ने कभी भगवान की तरफ श्रद्धा की नज़र से भी नहीं देखा क्या, इतने कुकर्म किये , क्या अब मुझे उनके साथ रहना होगा ? कृपा करिए महाराज.. ऐसा अनर्थ आप कैसे कर सकते हैं ?
चित्रगुप्त : जी पुजारी जी , अब आप देखिये, हम तो ठहरे मैनेजर. जो हमारे बॉस यानि आपके भगवान जी ने कहा, हमने किया. अब आपने इतनी पूजा पाठ की है तो चलिए आपको बॉस से मिलवा देते हैं. वही आपको इसका उत्तर बताएँगे.
दोनों ने भगवान के धाम जाने के लिए प्रस्थान किया. पंडित जी रास्ते भर सोचते रहे कि जिन नारायण के गुण गा गाकर जिंदगी बितायी आज उनसे साक्षात्कार होगा. बस उनके चरणों की धूलि मिल जाये. भगवान का नाम जपते हुए जैसे ही वहां पहुंचे, पंडित जी चौंक गए.
पंडित जी : भगवन , आप वैसे तो बिलकुल भी नहीं हैं जैसी मंदिर में फोटो लगी है. आपके  सोने के गहने कहाँ गए भगवन , क्या मंदी ने यहाँ भी अपने पैर जमा लिए? आप तो बेहद ही सौम्य दिखते हैं. (थोडा झेंपते हुए लेकिन मुस्कुराकर उन्होंने आगे जोड़ा) बुरा मत मानियेगा लेकिन अब क्या करें हमे तो आपको वैसे ही देखने की आदत हो गयी है.
भगवान : क्या मैं आपको इतना फ़ालतू दिख रहा हूँ कि आप अपनी ये बकवास किये जा रहे हैं. आप धरती वाले अगर मुझे एक 50 आँखों वाला भी दिखायेंगे तो क्या मैं वैसा हो जाऊंगा.
जो सुनने आये हैं वो सुनिए बस. आपने तीन क़त्ल किये हैं जिनकी वजह से आपकी स्वर्ग की सीट किसी और को दे दी गयी है और आपके इतने पूजा पाठ करने की ही वजह से  नरक में एक सीट बुक कर दी है. अब तो नरक में पांव रखना भी मुश्किल है. सोच रहे है कि दूसरा नरक भी खोल दें.. क्यों चित्रगुप्त जी क्या कहना है आपका.
चित्रगुप्त : जो आज्ञा भगवन .
पंडित जी मन ही मन सोचने लगे . लग रहा है यहाँ भी क्लोनिंग होने लगी है. कैसा भगवान है ये. बोले : भगवान मैंने आपके लिए इतने सद्भाव रखे , इतने व्रत रखे , आप जो चाहे कहिये लेकिन झूठ आपको शोभा नहीं देता. मैंने एक चींटी को भी जानबूझकर नहीं मारा, ३ खून कैसे कर सकता हूँ. आपको शायद कोई ग़लतफ़हमी हुई है.
भगवान जी ने चित्रगुप्त को इशारा किया और वे तीन लोगों को पकड़ लाये.
भगवान : हाँ तो पुजारी जी , इस बूढ़े आदमी को पहचानते हो.
पंडित जी : हाँ बिलकुल. ये तो हमारे ही गाँव का है . मंदिर से 4 घर छोड़ कर इसका घर है. अरे अपने राजेंद्र जी के पिताजी..
भगवान : बताओ तुम कैसे मरे?
बूढा आदमी : मैं बीमार था. मुझे डॉक्टर ने आराम करने के लिए कहा था. शोर शराबे से दूर रहने को कहा था . इन्होने बड़े बड़े स्पीकर पर आपके भजन चलवा दिए तो बैचैनी बढ़ने से दौरा पड़ा और मृत्यु हो गयी.
भगवान ने अब दूसरे लड़के को बुलाया. बताओ तुम कैसे मरे
लड़का : जी मैंने ख़ुदकुशी कर ली थी.
भगवान : क्यों?
लड़का : मैं 12th के एग्जाम मैं फेल हो गया था इसलिए
भगवान : क्यों फेल हुए? पढाई नहीं की थी?
लड़का : कैसे करता भगवान, मेरे एग्जाम के दिनों में इन्होने माता की चौकी लगा दी. दिन रात लाऊडस्पीकर बजता था. मैं पढ़ नहीं पाया और फेल हो गया.
पंडित जी को उस दिन का झगड़ा याद आ गया जब लोगों ने उनसे आवाज़ कम करने को कहा था और उन्होंने उन्हें धर्म विरोधी कहकर भगा दिया था.
भगवान ने अब एक छोटी लड़की को बुलाया और उससे मरने की वजह पूछी , उसने बोला कि मैं माँ के साथ मंदिर गयी थी. वहां से लौटते वक़्त २ लोगों ने मेरा अपहरण करने की कोशिश की. मेरी माँ और मैं मदद के लिए चिल्लाये लेकिन पंडित जी के लगाये लाऊडस्पीकर की आड़ में हमारी आवाज़ दब गयी. वो लोग मुझे ले गए और बाद में मुझे मार दिया.
पंडित जी को अब काटो तो खून नहीं.

भगवान : हाँ तो पंडित जी.. मैं आपसे ये कहना चाहता हूँ कि मैं बहरा नहीं हूँ. दिल के कोने से निकली एक आवाज़ पर ही मैं आ जाता हूँ और वैसे भी मेरा अंश सबमें है तो प्राणिमात्र को तकलीफ़ देने का अर्थ मुझे तकलीफ़ देना ही होता है. गीता में भी मैंने कहा है कि मैं संसार के हर कण में विराजमान हूँ. आपने नाहक स्वर्ग के लिए इतने जतन किये. इन लोगों की परेशानी को समझ लिया होता तो आज आपको यूँ नरक न जाना पड़ता. 


अब पंडित जी क्या कहते , बस सर नीचा करके चल दिए. उनके दिमाग में सिर्फ एक ख्याल था कि नरक में गर्म तेल में पकौड़े तले जाने वाली बात भी झूठ निकले.. 

Aug 17, 2014

Yes.. you are my love

I read somewhere... इश्क़ धीरे धीरे परवान चढ़ता है.
So I was not in a hurry. When he entered into my life, he was just a partner for me, nothing more than that, our relationship started as most relations do 'I didn't like him'. In the very first month of our relationship we fought number of times, sometimes even twice or thrice a day. Gradually I started hating him. I thought it would be better to give time to each other. I said let’s take a break of a week or two. He didn't answer. And then we didn't see each other for a week. At times I did miss him but I pretended as if I didn’t care. When we met again, he again helped me, he tried his best to impress me, but I don’t know for what reason, but I didn't really want to give a fresh start to us again.
One day I had to search data and prepare a report and submit it on paper. I had little 
time, of about 15 minutes. I was not at all prepared for it and I didn't have access to a computer, I didn't want to give any excuse for not being able to complete my work yet I had no other choice than to think of one. It was then at that moment that I found “My day of Love.”  
I realized that I can use internet to search data and can prepare a report on it only.  It had a function that I can transfer data from it to a pen drive. Yessssssss ….  A pen drive can be attached to it like it can be connected to a desktop or a laptop. I transferred the data and got it printed which resulted in a win-win situation. And that was the first time I kissed it. 

My new found love was none other than my cell phone. Without any showoff it just makes my work eeeeeaaasyyy… as it has a biggggggggg screen, it is there when I need it the most and it also keeps me entertained as a small TV. For me it is just awesome.
And now .. we are living happily with each other.


Aug 16, 2014

शुक्रिया..

कभी किसी ने मुझे सिखाया कि कभी खुद से जवाब मत दो चाहे कोई कितना भी बुरा करे तुम्हारे साथ. भगवान् सब देखते हैं. जिसने तुम्हारे साथ बुरा किया ,उसके साथ ठीक वैसा ही होगा जैसे उसने तुम्हारे साथ किया.
मुझे ये नहीं पता कि किसके साथ क्या हुआ और न ही मैं जानना चाहती हूँ लेकिन हाँ मेरे साथ बहुत कुछ अच्छा हुआ. वो सभी लोग जो मेरी जिंदगी को गर्त मैं धकेलने के लिए तैयार थे मुझसे अलग हो गए. उस वक़्त कुछ अच्छे लोगों को मैंने अपने साथ खड़ा पाया. भगवान का शुक्र है कि वो लोग आज भी वैसे ही मेरे साथ है. मेरा परिवार मेरी हिम्मत है और मेरी हिम्मत हमेशा मुझे मेरे बुरे वक़्त में खुद को सम्हालने और फिर से खड़ा होने कि ताकत देती है और कुछ लोग ऐसे मिले कि उनसे जिंदगी भर का रिश्ता बन गया.

आज मैं अपने इस छोटे से दायरे में बहुत खुश हूँ. इन सभी बेनाम लोगों का मेरे जीवन में आने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया. 

Aug 15, 2014

इंतज़ार है मुझे.. मेरी आज़ादी का

एक दिन यूँ ही राह से गुज़रते हुए मैंने एक चाय की दुकान पर एक बहुत सुन्दर पिंजरा देखा.. और उस पिंजरे में उससे भी सुन्दर पंछी .. बहुत सारे.. वो दूसरे पंछियों से बहुत अलग थे.. हल्के पीले, हरे, लाल रंग के पंछी , रंगबिरंगे पंख , प्यारी सी चोंच, फुदकते हुए और भी प्यारे लग रहे थे..
रास्ते भर मैंने सोचा कि इतने प्यारे पंछियों को आसमान में उड़ते हुए देखा कितना अच्छा लगेगा.. मैंने सोच लिया था कि काम ख़त्म होने पर वापस जाकर उन पंछियों को उड़ाना ही है अब.. मैं बहुत ज्यादा देर उन्हें आसमान में उड़ते देखने से खुद को रोक नहीं पा रही थी.. मैंने अपने साथ काम करने वाली एक लड़की से कहा कि मुझे उन पंछियों को उड़ाना है.. मैं बहुत देर इंतज़ार नहीं कर पाऊँगी.. उस ने कुछ कहा नहीं बस हंसकर रह गयी.. उस दिन ज़रूरी काम आ जाने की  वजह से मैं भी वापस नहीं जा पायी.
2-3 दिन गुज़र गए. फिर से हम साथ बैठे हुए थे. उसने कहा पता है रेखा तुम्हारी एक बात उस दिन मुझे बहुत अच्छी लगी थी कि तुम्हें उन पंछियों को उड़ाना है. खुले आसमान मैं आज़ाद पंछियों को उड़ते देखकर कितना अच्छा लगता है न.. उन्हें मैंने उसकी तरफ देखा.. आँखों मैं कई सवाल लेकर.. उसने मेरे पूछने का इंतज़ार नहीं किया.. मैं तुम्हारी तरह जिंदगी जीना चाहती हूँ. एक वक़्त था जब मुझे भी आसमान की बुलंदियों पर जाना था.. लेकिन माँ के इस दुनियां से जाने के बाद पिताजी ने समाज और रिश्तेदारों की बात मानकर मेरी शादी कर दी. मैंने सोचा कि मैं अपने ससुराल वालों शादी के बाद काम करने के लिए धीरे धीरे मना लूंगी .. मैंने शादी कर ली.. माँ की याद आती थी तो सासू माँ मैं माँ को ढूँढना शुरू कर दिया. पर मेरी जिंदगी उतनी आसान नहीं रही जितना मैंने सोचा था. काम करने के लिए घर वाले मान तो गए लेकिन मेरे ऊपर जिम्मेदारियों का इतना बोझ लाद दिया है कि मैं अब सिर्फ छटपटा कर रह जाती हूँ. एक शहर मैं रहकर भी अपने बूढ़े और अकेले पिता के पास जाने के लिए मुझे 10 बार पूछना पड़ता है और अगर चली जाऊँ तो समय की पाबन्दी होती है . अगर कुछ कहती हूँ तो सिर्फ एक जवाब किसने कहा है काम करने को. मुझे 3 साल हो गए पर आजतक मैं उन्हें ये नहीं समझा पाई कि मैं सिर्फ इसलिए काम करती हूँ क्यूंकि काम करना मुझे अच्छा लगता है. जितना तुम्हें बताया हालात उससे भी ज्यादा ख़राब हैं. मुझे घूमने की आज़ादी नहीं चाहिए लेकिन हाँ आज भी मुझे अपने सपनों को पूरा करने की आज़ादी का इंतज़ार है. 
खैर मैं अपना सपना तो पूरा नहीं कर पायी लेकिन हाँ मैंने समझौता कर लिया है. अपने इस काम मैं ही ख़ुशी ढूढ़ ली है. बच्चों को पढ़ाती हूँ और उन्हें सिर्फ यही समझाती हूँ कि यही एक जिंदगी है, इस जिंदगी का एक लक्ष्य बनाना और अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए जी जान से जुट जाना. बाद मैं ये आज़ादी मिले न मिले.
मैं बिना देर किये सीधे दुकान के लिए निकल गयी. वहां अब कोई पिंजरा नहीं था. मुझे दुःख हुआ. मुझे देर हो गयी थी. लेकिन पूछने पर पता चला एक लड़की आई थी और खरीद के ले गयी.

होठों पर बस एक हल्की मुस्कराहट आ गयी. 

Aug 6, 2014

आज एक लड़की से मिली.. बेहद खूबसूरत..

आज एक लड़की से मिली.. बेहद खूबसूरत..
हुआ यूँ कि मेरी एक दोस्त ने नया घर खरीदा.. उसके घर के लिए ज़रुरत का सामान लेने हम एक दुकान पर गए.. वहां पर मैं उससे मिली ..
शादी नहीं हुई थी अब तक उसकी.. और उसमे खास दिखने वाली कोई बात भी नहीं थी...
उसने बहुत ही पुराने स्टाइल का सूट पहन रखा था.. वो भी आउटडेटेड.. फैशन की कोई समझ नहीं थी.. लेकिन हाँ.. दुकान के हर सामान और उसकी कीमत की पूरी जानकारी थी..
शायद ही वो कभी पार्लर जाती होगी .. मैंने देखा कि उसके हाथों पर जलने के निशान थे.. जगह जगह बड़े काले धब्बे थे.. बेहद पतली दुबली.. ज्यादा पढ़ी भी नहीं थी.. पढ़ नहीं पाई होगी शायद.
लेकिन वो बहुत खूबसूरत थी... उसने २ छोटे छोटे क्लिप्स लगा रखे थे जो उसे और खूबसूरत बना रहे थे.. और एक चीज़ जो सबसे सुन्दर थी.. वो थी उसकी मुस्कराहट.. एक हल्की मुस्कराहट के साथ हर सामान को बेहद करीने से निकलना.. दिखाना और मुस्कुराकर पूछना इसमें और रंग दिखा दूँ आपको?
ऐसा बिलकुल भी नहीं था कि सिर्फ दुकान पर होने कि वजह से उसे जबरन मुस्कुराना पड़ रहा हो.. वो मुस्कराहट जैसे उस चेहरे के लिए ही थी.. न शिकन , न थकान सिर्फ दुकान का काम. हर बात को धीमी , सधी हुई और मिठास भरी आवाज़ के साथ बोलना और कुछ भी मांगने पर उसी मुस्कराहट के साथ तुरंत सामान ले आना..
जब तक मेरी दोस्त ने सामान लिया.. मैंने उसे देखा... शायद हालातों का शिकार वो भी हुई होगी लेकिन उसके बावजूद कैसे एक मुस्कराहट में सब छिपा लिया होगा .. अपने अरमान, सपने सब कुछ..

मुझे नहीं पता कि अच्छा दिखने या ख़ूबसूरती को मापने के मायने क्या होते हैं लेकिन मेरे लिए वो आज के दिन में मिली सबसे खूबसूरत लड़की थी..