Aug 15, 2014

इंतज़ार है मुझे.. मेरी आज़ादी का

एक दिन यूँ ही राह से गुज़रते हुए मैंने एक चाय की दुकान पर एक बहुत सुन्दर पिंजरा देखा.. और उस पिंजरे में उससे भी सुन्दर पंछी .. बहुत सारे.. वो दूसरे पंछियों से बहुत अलग थे.. हल्के पीले, हरे, लाल रंग के पंछी , रंगबिरंगे पंख , प्यारी सी चोंच, फुदकते हुए और भी प्यारे लग रहे थे..
रास्ते भर मैंने सोचा कि इतने प्यारे पंछियों को आसमान में उड़ते हुए देखा कितना अच्छा लगेगा.. मैंने सोच लिया था कि काम ख़त्म होने पर वापस जाकर उन पंछियों को उड़ाना ही है अब.. मैं बहुत ज्यादा देर उन्हें आसमान में उड़ते देखने से खुद को रोक नहीं पा रही थी.. मैंने अपने साथ काम करने वाली एक लड़की से कहा कि मुझे उन पंछियों को उड़ाना है.. मैं बहुत देर इंतज़ार नहीं कर पाऊँगी.. उस ने कुछ कहा नहीं बस हंसकर रह गयी.. उस दिन ज़रूरी काम आ जाने की  वजह से मैं भी वापस नहीं जा पायी.
2-3 दिन गुज़र गए. फिर से हम साथ बैठे हुए थे. उसने कहा पता है रेखा तुम्हारी एक बात उस दिन मुझे बहुत अच्छी लगी थी कि तुम्हें उन पंछियों को उड़ाना है. खुले आसमान मैं आज़ाद पंछियों को उड़ते देखकर कितना अच्छा लगता है न.. उन्हें मैंने उसकी तरफ देखा.. आँखों मैं कई सवाल लेकर.. उसने मेरे पूछने का इंतज़ार नहीं किया.. मैं तुम्हारी तरह जिंदगी जीना चाहती हूँ. एक वक़्त था जब मुझे भी आसमान की बुलंदियों पर जाना था.. लेकिन माँ के इस दुनियां से जाने के बाद पिताजी ने समाज और रिश्तेदारों की बात मानकर मेरी शादी कर दी. मैंने सोचा कि मैं अपने ससुराल वालों शादी के बाद काम करने के लिए धीरे धीरे मना लूंगी .. मैंने शादी कर ली.. माँ की याद आती थी तो सासू माँ मैं माँ को ढूँढना शुरू कर दिया. पर मेरी जिंदगी उतनी आसान नहीं रही जितना मैंने सोचा था. काम करने के लिए घर वाले मान तो गए लेकिन मेरे ऊपर जिम्मेदारियों का इतना बोझ लाद दिया है कि मैं अब सिर्फ छटपटा कर रह जाती हूँ. एक शहर मैं रहकर भी अपने बूढ़े और अकेले पिता के पास जाने के लिए मुझे 10 बार पूछना पड़ता है और अगर चली जाऊँ तो समय की पाबन्दी होती है . अगर कुछ कहती हूँ तो सिर्फ एक जवाब किसने कहा है काम करने को. मुझे 3 साल हो गए पर आजतक मैं उन्हें ये नहीं समझा पाई कि मैं सिर्फ इसलिए काम करती हूँ क्यूंकि काम करना मुझे अच्छा लगता है. जितना तुम्हें बताया हालात उससे भी ज्यादा ख़राब हैं. मुझे घूमने की आज़ादी नहीं चाहिए लेकिन हाँ आज भी मुझे अपने सपनों को पूरा करने की आज़ादी का इंतज़ार है. 
खैर मैं अपना सपना तो पूरा नहीं कर पायी लेकिन हाँ मैंने समझौता कर लिया है. अपने इस काम मैं ही ख़ुशी ढूढ़ ली है. बच्चों को पढ़ाती हूँ और उन्हें सिर्फ यही समझाती हूँ कि यही एक जिंदगी है, इस जिंदगी का एक लक्ष्य बनाना और अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए जी जान से जुट जाना. बाद मैं ये आज़ादी मिले न मिले.
मैं बिना देर किये सीधे दुकान के लिए निकल गयी. वहां अब कोई पिंजरा नहीं था. मुझे दुःख हुआ. मुझे देर हो गयी थी. लेकिन पूछने पर पता चला एक लड़की आई थी और खरीद के ले गयी.

होठों पर बस एक हल्की मुस्कराहट आ गयी. 

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