Aug 6, 2015

केवल शिक्षा की तरफ ही कदम आगे बढ़ें न कि गर्त में धकेलते किसी पाखंड की तरफ.


अभी कुछ दिन पहले वैज्ञानिक सोच रखने वाले पूर्व राष्ट्रपति कलाम साहब के निधन पर पूरा देश रोया लेकिन उनके तरह वैज्ञानिक सोच लेकर आचरण करने को अभी हम अपना ही नहीं कर पाए. सोशल मीडिया और टीवी पर हमने कई बार देखा होगा जैसे इस फ़ोटो को शेयर करें और पायें असीम कृपा तुरंत. फलां भगवान् जी दिलाएंगे आपको वीज़ा. बस एक लॉकेट भर दूर है आपकी किस्मत. अल्लाह लॉकेट को पहनिए, किस्मत आपके कदम चूमेगी. “होली वाटर” की एक बोतल घर लाइए और ईसामसीह की कृपा से अपना घर भर दीजिये. एक तरफ जहाँ इन्टरनेट से दुनियां जहान से हम लोग जुड़ रहे हैं वहीँ इसी इन्टरनेट से अन्धविश्वास की गली को चौड़ा किया जा रहा है. सांप सपेरों की धरती कहे जाने वाले देश में माउस से खेलने वाले युवाओं से उम्मीद बंधी थी  कि अब अंधविश्वासों को काबू किया जा सकेगा लेकिन इसी माउस की क्लिक से पाखंड को बढ़ावा मिल रहा है. कई सालों से हम धर्म के नाम पर पैसा कमाने और नफ़रत फैलाने वालों को देखते और सुनते आ रहे हैं और कई ऐसे गुनहगारों को जेल के पीछे भी देखा है. ज्यादा दूर जाने की ज़रुरत नहीं है. आसाराम बापू का प्रकरण खूब चर्चा में रहा था. केवल उन पर ही नहीं बल्कि उनके बेटे पर भी यौन उत्पीडन के आरोप लगे थे. उससे पहले नित्यानंद स्वामी का ऐसा ही प्रकरण सामने आया था. निर्मल बाबा के दरबार और समागम में समोसा और गोलगप्पे खा लेना ही मानव की समस्याओं का उपाय है. दक्षिण के मंदिरों में धन के भंडार भरे हैं. सत्य साईं बाबा के देहावसान के बाद इसका खुलासा भी हुआ था. खुद को राधे माँ कहने वाली एक स्त्री पर  दहेज़ उत्पीडन का आरोप लगा है. स्वयं को कबीर का अवतार बताने वाले रामपाल इन सबसे एक कदम आगे थे. रामपाल के ऊपर ज़मीन पर अवैध कब्ज़े का आरोप लगा था. उनका आश्रम हर तरह की सुख सुविधाओं से परिपूर्ण था और उन्होंने सशस्त्र बल भी अपनी सुरक्षा के लिए तैनात कर रखा था और वो भी बहुत बड़ी संख्या में. ये केवल बड़े कुछ नाम हैं जो चर्चा में रहे. ऐसे ही मुस्लिम समुदाय में कुछ मौलवी, पीर, फ़कीर जिन्न भागने के नाम पर औरतों के बाल खींच खींच कर पाखंड का प्रदर्शन करते नज़र आते हैं. 5000 करोड़ की संपत्ति के मालिक डॉ. पॉल दिनाकरण का कहना है कि स्वयं ईसामसीह ने उन्हें शक्तियां प्रदान कीं. बाकी अख़बारों में तो हम गाहे बगाहे छोटे मोटे बाबाओं, मौलवियों के बारे में पढ़ते ही रहते हैं. अब भारत के साक्षरों की बात करें तो 2011 की जनगणना के अनुसार देश में कुल 74 प्रतिशत लोग साक्षर हैं और इन धर्म कारोबारियों के व्यापार के फलने फूलने में ज़्यादातर इन्हीं लोगों का अधिक योगदान रहता है. जेबों में रखे पैसे का उपयोग इनके द्वारा बताये गए उपाय की फीस या फिर “सेवा” देने में किया जाता है. अपने रोज़ के काम हों या व्यापार के या फिर घर की सुख शांति के उपाय हों या घर में किसी की शादी, ये सब काम इन्हीं लोगों से पूछ पूछ कर किये जाते हैं और भगवान के नाम पर डराने वाले लोगों को मानने लोगों के लिए ये केवल कुछ रुपये हैं लेकिन यही कुछ रुपये बहुत लोगों के मिलाकर इतने भर हो जाते हैं कि पाखंड का एक शामियाना स्थापित किया जा सके और बस इनकी दुकान चल निकलती है.
अब वो बात जो शायद आपको थोड़ी कडवी लगे. ग़लती इन लोगों की जितनी है उससे ज्यादा ग़लती इस देश के नागरिकों की यानि आपकी है. अभी भी देश धर्मगुरुओं के भरोसे चल रहा है. हम विकसित देशों में आने की बात तो करते हैं लेकिन आज भी घर से निकलने से पहले चौघडी या दिन का विचार करते हैं. यदि भारत युवा देश है तो इन युवा आँखों में स्वयं और देश की तरक्की का सपना तैरना चाहिए न कि किसी गोली, ताबीज, भस्म या तस्वीर को लेकर हद पागलपन. सड़क के किनारे लगे तम्बू में अपने दुखों का इलाज़ ढूंढते इस युवा भारत को शायद ये पता नहीं कि यदि केवल 10 रुपये में मिलने वाली भस्म हर मर्ज़ का इलाज़ होती तो ये तम्बू लगाने वाला सबसे पहले अपने लिए एक घर और उसमे सुख सुविधाओं की व्यवस्था करता. उसके पास आपसे ज्यादा दुःख है. इस देश को विकास की ओर केवल वैज्ञानिक सोच ही लेकर जा सकती है और इस सोच को अपनाने के लिए सबसे पहले अंधविश्वासों से बाहर आना होगा और ये सुनिश्चित करना होगा कि केवल शिक्षा की तरफ ही कदम आगे बढ़ें न कि गर्त में धकेलते किसी पाखंड की तरफ.

3 comments:

  1. good note towards that issue...and one of the disruptions in development ...superstitions in the name of religion, God, Luck, and destiny .... the basic thing everyone should know that religion is the way of living made by human being.. God did not made that, that can not be a based on written strict things and those must be changed that time to time ....... good or bad exists in everybody's heart the only thing is that what he chooses....you may be surprised that in Saudi Arabia a Muslim country mosque can be destroyed or displaced in the name of development(transport etc..) but in India its too hard to destroy any religious building for the same...

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