Jun 3, 2013

वक़्त है खुद को पहचानने का

लाईफ कितनी हैपनिंग हो गयी है. हर आदमी बिजी  है .दिन में घंटे तो चौबीस ही होते हैं और उसी में टी टाइमब्रेक टाइमलंच टाइमडिनर टाइम इसके अलावा पार्टी टाइमरोमांस टाइमआफिस टाइम जैसी चीजें तो हैं ही । लाईफ की इतनी सारी चीजें टाईम से जुडी हुई हैं  और टाइम मैनेज करने के चक्कर में हम कितने घनचक्कर बन जाते हैं इसका पता हमें नहीं पड़ता,पर समय की इस कहानी का एक और मजेदार हिस्सा है हमारी प्रायोरिटी यानि  हम जो चीज करना चाहते हैं उसके लिए टाईम निकाल ही लेते हैं हम कितने भी व्यस्त क्यूँ न हों एफ बी पर स्टेट्स देते रहते हैं उन दोस्तों के साथ मेसेंजर पर भी जुड़े रहे हैं जिनसे हम बात करना चाहते हैं पर जिनसे बात नहीं करनी ,जिनसे मिलने का मन नहीं उनके लिए रेडीमेड रेमेडी टाईम नहीं है यार.इस टाईम मेनेजमेंट के खेल में कोई एक ऐसा भी होता है जो हमारे लिए सबसे इम्पोर्टेन्ट होता है लेकिन हम उसे  लगातार इग्नोर कर रहे होते हैं और वो कोई और नहीं बल्कि हम खुद होते हैं कभी आपने गौर किया कि हम  अपने आप को कितना टाईम दे रहे हैं. खुद से अकेले में कुछ देर बात करने के लिए. कुछ देर केवल अपने आप को समझने के लिए। टाईम की कहानी में यहीं से ट्विस्ट शुरू होता है. पढ़ाई हो या फिर नौकरीहर किसी को जल्दी है. पढ़ने वालों को जल्दी से पैसे कमाने की और नौकरी वालों को एक सुरक्षित और ऊँची पोस्ट पर पहुँचने की और जब ऐसा नहीं होता तो हम स्ट्रेस्ड हो जाते हैं.अपने आप से भागने लगते हैं ऐसी चीजों में समय ज्यादा देने लगते हैं जो वक्ती तौर पर सुकून तो देती हैं पर आपको धीरे धीरे खत्म कर रही होती हैं.मेरी एक मित्र काफी महत्वाकांक्षी किस्म की हैं। पढ़ाई में भी अच्छी थीं पर उन्होंने बिना अपनी क्षमताऐं जाने जल्दी से प्रसिद्धि पाने की चाह में एक टीवी चैनल  में नौकरी कर ली. कुछ दिन तो केवल जोश में ही निकल गये लेकिन कुछ दिन बाद उन्हें वहाँ ऊबन होने लगी। धीरे-धीरे काम प्रभावित होने लगा और खुद को प्रूव न कर पाने की सोच ने उनके दिमाग में गहरी जड़ें जमा लीं कि उन्होंने  अपना आत्मविश्वास खो दिया जिससे उनका करियर प्रभावित हुआ और वो डिप्रेशन का शिकार हो गयीं.असल में आपको आपके सिवा कोई और नहीं समझ सकता,पर अपने आप को समझने के लिए हमें अपने आप से बात करनी होगी. असल में हर इंसान अपनी क्षमताऐंखूबियाँकमियाँ अच्छे से समझता है .हमें पहले यह पता होना चाहिए कि हम जिंदगी से चाहते क्या हैं बगैर तैरना जाने आप तालाब में इस लिए कूद जायेंगे कि बाकी भी ऐसा ही कर रहे हैं तो आप निश्चित डूबेंगे ही हर इंसान अपने आप में यूनीक होता है तो दूसरों को की कॉपी क्या करना अपनी स्टाईल खुद बनाने का कोई पढ़ाई में अच्छा होता हैकोई खेल में तो कोई गीत संगीत मेंलेकिन ये पता कैसे पड़ेगा कि आप क्या कर सकते हैं इसके लिए किसी काउंसलर की जरुरत नहीं है बस थोडा समय अपने आप के लिए निकालिए अच्छा संगीत सुनिए अपनी हौबी को फिर से जिन्दा कीजिये जिसे आप कब का पीछे छोड़ आये हैं फिर देखिये आप अपने आप से कैसे बात कर पायेंगे तो जिन्दगी जीने के फलसफे थोड़ा चेंज कर लेते है. अब अपनी जिन्दगी को किस तरफ ले जाना हैकौन सा विषय पढ़ना हैक्या करियर चुनना हैजॉब में क्या बदलाव लाना हैखुद को दस साल बाद कहाँ देखना है,ये अब किसी से नहीं पूछना है बस टाईम की प्रायरिटी में अपने आपको भी जगह देनी है. यही वक्त है और वक्त सही भी है. इस लेख को पढ़ने  के लिए भी आपने टाईम  तो निकाल ही लिया न
 04.06.13 को आई नेक्स्ट के सम्पादकीय पृष्ठ पर  प्रकाशित. 

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