आगाज़
Mar 13, 2014
बस यूँ ही
कभी कभी सोचती हूँ कि जिंदगी यूँ न होती तो कैसी होती. आप उम्मीदों के साथ आगे बढ़ते हैं, खुद के लिए एक मुकाम तय करते हैं, टूटते हैं, बिखरते हैं, फिर उठ खड़े होते हैं और फिर खुद से नयी उम्मीदें पालते हैं. कहते हैं न कि चलती का नाम जिंदगी.
2 comments:
prateek khurana
Mar 20, 2014, 6:29:00 PM
और इस चलती हुई जिंदगी में जब कोई मुसाफिर खुद सा मिल जाये तो मुकाम तक का सफर भी और हसीन हो जाता है
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prateek khurana
Mar 20, 2014, 6:29:00 PM
और इस चलती हुई जिंदगी में जब कोई मुसाफिर खुद सा मिल जाये तो मुकाम तक का सफर भी और हसीन हो जाता है
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