समाज के सवाल हमेशा से एक
जैसे थे .. आज की लड़की का जवाब कुछ बदल गया है
पहले पड़ता था फर्क तुम्हारे
कहने से, अब आज़ादी में सांस लेना तुमसे ज्यादा ज़रूरी है. कभी चाहिए था तुम्हारा
हाथ सहारे के लिए अब कहो तो हाथ बढ़ा सकती हूँ सहारा देने के लिए. कभी खुलकर हँसना
भी था गुनाह तुम्हारी नज़र मे, आज हँसाने का माद्दा रखती हूँ . कभी चाही थी तुमने
अग्निपरीक्षा हर एक कदम पर, आज तुमसे सवाल कर पाने की ताकत रखती हूँ.
तुम कहते हो बंधन हमारी
सुरक्षा हैं लेकिन क्या कहोगे जब घर में ही बेआबरू होते हैं हम. मेरी जिंदगी के
फ़ैसले लेने का हक एक आदमी को देना कैसे जायज़ लगा तुम्हें? शादी न करने की ज़िद पर
तुम सब मिलकर मुझे ताने मारते हो और कहते हो कि शादी करने का फ़ैसला मेरा था. अरे फ़ैसला
करने का हक था ही कब.. ये सब तुम्हारे नियम हैं जो तुम्हारी सहूलियत के हिसाब से
बदल जाया करते हैं. जानते हो एक अच्छी बात क्या है, मैंने तुम्हारी सुनना ही बंद
कर दिया है. मेरा दिल अगर कहेगा सही तो वो सही और कहेगा ग़लत तो मेरे क़दम ज़रूर रुक
जायेंगे. तुमसे पूछना तो कबका छोड़ दिया मैंने लेकिन बताना भी अब छोड़ रही हूँ. तुमने
कहा था कि मुझे दुनियाँदारी की समझ कहाँ, सच कहूँ तो समझ तुम्हें नहीं जो मुझे समझ
नहीं पाए. समझ पाते तो यूँ आज मुंह की न खाते. तुम्हारे ही बनाये नियमों में
उलझाकर आज एक कोने में समेट न दिए जाते. मुझसे उम्मीद बेमानी है कि मैं वापस आउंगी
तुम्हारे हिसाब से जीने. मेरी उडान को रोक पाना तुम्हारे अहं के बस की बात नहीं.
लाख़ बुराइयाँ पैदा कर लो अपने अन्दर, लड़ने के लिए मैं पहले से अधिक उत्साहित हूँ. कितना एसिड फेंकोगे, मेरी त्वचा जला सकते हो मेरा द्रढ़ निश्चय नहीं. मेरी इज्ज़त का
मखौल बनाना अच्छा लगता है तुम्हें लेकिन तब क्या जब मेरे काम करने की लगन उसे भी
परास्त कर दे.
एक अंतिम बार कुछ बताती हूँ
तुम्हें, इत्मिनान से सुनो.. हूँ मैं एक
नए ख़यालात वाली लड़की लेकिन बिंदी लगाना मुझे बहुत पसंद है. इसलिए नहीं कि मुझे
लगानी चाहिए इसलिए क्यूंकि ये मेरे माथे पर अच्छी लगती है. हूँ तो मैं कामकाज़ी
लड़की लेकिन चूड़ी पहनना मुझे बहुत पसंद है.. इसलिए नहीं कि हाथ खाली अच्छे नहीं
लगते बल्कि इनकी खनक मेरे कानों को भाती है. हूँ तो मैं अपने मन के कपडे पहनने
वाली लड़की पर पायल पहनना मुझे बहुत पसंद है.. आप कहेंगे ऐसे कपड़ों पर पायल ? ये
मेरा तरीका है अपने पैरों को सजाने का न कि पांव की बेड़ी बनाने का. गहने मुझे वही
चाहिए जो मेरे साथी होने का एहसास दिलाते हों न कि किसी दूसरे को घर की इज्ज़त
दिखाने भर के लिए एक भार.. हूँ तो मैं इस समाज की एक आम लड़की लेकिन जिंदगी जीने
अंदाज़ मेरा अपना है. मेरे सपने मेरा हौसला हैं और मेरी मुस्कराहट मेरी हिम्मत. आगे
बढ़ना मेरी नियति और नए लोगों का आना और पुराने लोगों का जाना मेरी किस्मत. आज की लड़की
ऐसी ही है. साहसी, सपने देखने और और उनको पूरा करने का दम रखने वाली और समाज की
पुरानी बेड़ियों को जड़ से तोड़ कर फेंक देने वाली लेकिन दिल में उतना ही प्यार और
समर्पण लिए अपनों के लिए जीने वाली. हमारा क़ायदा सिर्फ एक बात जानता है .. जिंदगी
को अपने हिसाब से जीना और अपने देखे हर ख़्वाब को मंज़िल देना. अरे हाँ .. वक़्त बदल
गया है, बेहतर है तुम भी बदल जाओ कहीं ऐसा न हो कि तुम्हारी ज़रुरत ही ख़तम हो जाये.
हमेशा हमेशा के लिए.
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