आज से तकरीबन दस साल पहले मोबाइल हमारी जिंदगी में चुपके
से आया. तब तक किसी ने भी नहीं सोचा था कि ये हमारी जिंदगी का बेहद अहम् हिस्सा बन
जायेगा. पुश बटन से शुरू हुआ सफ़र आज टच स्क्रीन तक आ पहुंचा है. मोबाइल का रूप रंग
रूप भी बदला. तकनीक जब अपने साथ कुछ खूबियाँ लाती है तो चुनौतियाँ भी लाती है और
तकनीक का प्रयोग में प्राथमिक उपभोक्ता युवाओं को माना जाता है. भारत युवाओं का
देश है और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने न्यूयॉर्क के सेंट्रल पार्क
में ग्लोबल सिटिज़न फेस्टिवल
के दौरान एक रॉक कॉन्सर्ट में भाषण के दौरान उनकी इस ताकत का ज़िक्र भी किया है, “
युवा भविष्य है. जो वह आज करेंगे वह भविष्य का निर्धारण करेगा. मुझे युवाओं में
उम्मीद दिखती है. बुद्धिमत्तासे अधिक
बलवान आदर्शवाद, अविष्कार , ऊर्जा और युवाओं का “ कर सकने” वाला नजरिया है. मेरी
ऐसी उम्मीद भारत के लिए है क्यूंकि आठ सौ मिलियन युवा देश को बदलने के लिए कंधे से
कंधा मिला कर चल रहे हैं.”
अब
मोबाइल एप्लीकेशन विश्लेषक कंपनी फ्लरी की एक रिपोर्ट पर गौर करते हैं. इस रिपोर्ट
के मुताबिक मोबाइल का एक हद से ज्यादा इस्तेमाल युवाओं को लती बना रहा है. मोबाइल
में विभिन्न एप्लीकेशन को बेवजह बार बार खोलने की आदत एक प्रकार की लत को जन्म से
रही है. फ्लरी द्वारा किये गए एक शोध के मुताबिक जो लोग अपने मोबाइल में किसी भी
एप्लीकेशन को साठ बार से अधिक बार खोलते हैं ऐसे लोग इस लत के शिकार की श्रेणी में
आते हैं. मोबाइल को हर वक़्त साथ रखना और उसके ना मिलने पर बेचैनी होना इसके लक्षण
हैं.
अगर
ऊपर लिखी दोनों बातों पर गौर करें तो डराने वाला सच यह निकल कर आता है कि जिन
युवाओं से भारत देश का नया भविष्य रचने की उम्मीद की जा रही है वह अपना बहुमूल्य
समय इन एप्लीकेशन में उलझकर गँवा रहे हैं. तथ्य बताते हैं कि इस लत से ग्रसित
लोगों का जो आंकड़ा पिछले वर्ष में 7.9 करोड़ था इस वर्ष वह बढ़कर 17.6 करोड़ हो गया है.
भारत के मामले में यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्यूंकि भारत में युवाओं की
संख्या अधिक होने के कारण यह स्मार्टफोन के लिए एक उपयुक्त और बड़ा बाज़ार है. यहाँ
मोबाइल धारको की संख्या तेज़ी से सीढियां चढ़ रही है. हम पूरे विश्व में मोबाइल
उपभोक्ताओं में दूसरा स्थान रखते हैं. भारत में मोबाइल एप में प्रमुखता से फेसबुक और व्हाट्सएप आते हैं.
आंकड़े बताते हैं कि दुनिया भर के व्हाट्सएप उपभोक्ताओं में दस प्रतिशत केवल भारतीय
हैं. इसका अर्थ यह निकलता है कि भारतीय युवा इस लत के तेज़ी से शिकार हो रहे हैं. यह
लत कई प्रकार की बीमारियों और शारीरिक अक्षमताओं को भी जन्म दे रही है. एकाग्रता
की कमी, आँखों का धुंधलापन, इनसोम्निया आदि बीमारियों के होने का कारण भी आजकल
मुख्यतया स्मार्टफ़ोन ही है. भारत को दुनिया भर में एक मुख्य बाज़ार के रूप में जाना
जाता है. दुनियां भर के देशों के लिए यहाँ व्यापार करना सुलभ है क्यूंकि
उपभोक्ताओं के रूप में उन्हें युवाओं की एक अच्छी जमात मिल जाती है और अपने उत्पादों
के लिए लुभावने विज्ञापन देकर उपभोक्ताओं की एक अच्छी संख्या जमा कर लेते हैं. यदि
स्मार्टफ़ोन की मामले में बात करें तो यह बात सिद्ध होती प्रतीत होती है क्यूंकि आजकल
अधिकतर युवा एक से ज्यादा स्मार्टफ़ोन रखते हैं. मोबाइल में इन्टरनेट की सुलभता भी
इस लत के जन्म के मुख्य कारणों में से एक है. मोबाइल कपनियों के भर-भर के मुफ़्त
दिए जाने वाले डाटा प्लान की वजह से भी स्मार्टफोन का उपयोग बढ़ा है. तकनीक का
अविष्कार कार्य की सुगमता के लिए किया गया था और इसी सोच को साथ लेकर इसका विकास
हुआ लेकिन तकनीक के प्रयोग में एक संतुलन की आवश्यकता होती है जिससे कि आप बिना
किसी लत का शिकार हुए तकनीक का आनंद ले पायें.
विश्व मंच पर भारत की पुनर्प्रतिष्ठा में युवाओं की बहुत बड़ी भूमिका है. इस प्रगतिशील देश कहे जाने वाले
भारत को अभी दुनिया के धरातल पर सुनहरे अक्षरों में अपना नाम लिखना अभी बाकी है और
इसका दारोमदार युवाओं के कंधे पर है. आज के युवा वर्ग को, जिसमें देश का भविष्य
निहित है, और जिसमें जागरण के
चिह्न दिखाई दे रहे हैं,
अपने जीवन का एक उद्देश्य ढूँढ लेना चाहिए. भारत के मुखिया के साथ आम लोग भी उम्मीद भरी आँखों
से इस देश के सुनहरे भविष्य के सपने बुन रहे हैं. अब युवाओं को यह स्वयं ही समझना
होगा कि अपने भविष्य को उन्हें किस ओर ले जाना है.